दर्द ए दिल

तुम्हारे किताब में सुखा गुलाब किसका है,
भेद खुल गया बता दो ये नाम किसका है।

वो भेजे गए खत तुमने बिना पढ़े जला दिए,
एक बार पढा तो होता ये पयाम किसका है। 

दगा तो तुम हमेशा से ही करते आए हो,
तुम्हें याद नही की ये कलाम किसका है।

अब दिल में मेरे कोई भी दर्द ना रहा बचा,
इसका दोष किसे दे ये मक़ाम किसका है। 

उस आव-भगत में तुमने हमे देखा भी नहीं,
तुम्हारी महफ़िल में ये इंतिज़ाम किसका है।

तेरे साथ रहने वालो की हज़ारों में भीड़ हैं,
फिर जो तू हमे देखे तो ये सलाम किसका है। 

वो दर्द देकर मुझसे पूछते हैं कैसे हो तुम,
ये ज़ख्म किसने दिया ये काम किसका है।

अब किसे बयां करे हम अपना हाल ए दिल,
कुछ भी नही रहा अब ये इनाम किसका है।

वो तो बेवफ़ा निकले इश्क के स्कूल में,
कोई तो पूछे उनसे ये गुलाम किसका है। 

अब दिन महीने साल धीरे धीरे गुज़र गए,
सुबह शाम ख्याल आए ये नाम किसका है।

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4 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति और खूबसूरत भाव

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Reena yadav

06-Aug-2023 08:36 AM

👍👍

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Zakirhusain Abbas Chougule

05-Aug-2023 08:04 PM

Nice

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